Monday, August 20, 2007

या तो मैं बेपरवाह ही होता, या यूँ कमजोर नहीं होता,
या तो मैं आवारा ही होता, या यूँ तुझसे प्यार ना होता.
तेरी ख्वाहिश भी रखता हूँ, तुझे मैं पा नहीं सकता,
कैसी कशमकश है ज़िन्दगी, खुदी की है खुद जी नहीं सकता.