Thursday, December 27, 2007

dost, tumhe yaad kiye jaate hain

जाने कैसी हवाएं हैं ये,
जिनमे पुराने पल खोते जाते हैं.
जो लोग दिल के करीब होते हैं इतने कभी,
वो दूर नज़र के होते जाते हैं.

जिनका जिक्र जुबान से रुकता नहीं था,
याद करने पर भी वो नाम भूले जाते हैं.
होश में हूँ या बेहोश हूँ,
अक्सर ऐसे शक खुदी पर हम किये जाते हैं.

लगता है डर, सोचता हूँ में.
क्या ऐसे ही मरासिम छोड़ते जाते हैं.
दिल से बनायीं दुनिया को,
लम्हा लम्हा, ऐसे ही तोड़ते जाते हैं?

---खफा ना होना दोस्त, खातागार हम,
ज़हन में ही सही, तुम्हे अक्सर याद किये जाते हैं

Thursday, December 06, 2007

रिश्ते क्यों यूँ ही नम हो जाते हैं,
क्यों छोटी गलतफहमियों में खो जाते हैं.
भावनाओं के समंदर दर्द से रो जाते हैं,
मुस्कुराते हुए दो चेहरे
एक ही छत के नीचे गुमसुम से हो जाते हैं.

Monday, September 10, 2007

खाली खाली सा है, दिल के हर कोने में.
आँखें  भारी भारी हैं, तकलीफ है फ़िर भी सोने में.

बेमतलब करता रहा कुछ भी, दिनभर
क्या फरक है मुझमे और खिलोने में.

गम बार बार मिलते रहे,
मज़ा आने लगा है मुझे अब रोने में.

कोई आरज़ू नहीं, कोई जुस्तजू नहीं.
कुछ अलग नहीं होने या ना होने में.

Monday, August 20, 2007

या तो मैं बेपरवाह ही होता, या यूँ कमजोर नहीं होता,
या तो मैं आवारा ही होता, या यूँ तुझसे प्यार ना होता.
तेरी ख्वाहिश भी रखता हूँ, तुझे मैं पा नहीं सकता,
कैसी कशमकश है ज़िन्दगी, खुदी की है खुद जी नहीं सकता.

Friday, July 06, 2007

डर गया हूँ प्यार से कुछ इस तरह मैं,
किसी की निगाहें तलाशता ही नहीं हूँ मैं.
खुदी से जी लूँगा इसका ऐतबार है अब,
किसी रब्त को तवज्जोह देता ही नहीं हूँ मैं.

इधर उधर से निकल आता है तेरी यादों का लश्कर,
डरा डरा सा यूँ ही गुज़र जाता हूँ मैं उससे.
तबाह होते हैं कुछ पल और कई आरजुएं बेज़ार.
इसी तरह दफ़्न होता जाता हूँ
कतरा कतरा मैं अपनी ही कब्र में.

Sunday, March 11, 2007

paisa chahiye yaar

Kabhi sochta hoon...
hota mere ghar bhi,
paison ka ambaar.

din guzarte alag,
alag hota yeh sansaar.

Mushkilein kuch aur hoti,
kuch aur hota karaar.

na rehte hamesha yun haath tang,
na hota koi sahukaar.

bada sa hota ghar,
aur usme hota ek bar.

dukaney kam lagti,
kapde hote hazaar.

jab aarzoo hoti jahan chala jata,
chota sa lagta yeh sansaar.

na sabkuch hai, na hai pyaar.
parr fir bhi paisa chahiye yaar.

Friday, March 09, 2007

khush rehna zaroori hai

थक गए तुम भले ही,
उठा के सर चलना ज़रूरी है.

ना मिलें हो फल कभी भी,
करते रहना कर्म ज़रूरी है.

बल ना हो बाँहों में फ़िर भी,
वीरता मन में ज़रूरी है.

परिश्रम कर लिया बहुत तुमने,
पर हाँ थोडा और ज़रूरी है.

हो ना कोई भी साथ,
भरोसा खुद पे ज़रूरी है.

मुश्किलें तो हर किसी को हैं,
बस खुश रहना ज़रूरी है.

Saturday, February 24, 2007

Zindagi

जब  अफसाना-ए-हस्ती सोचता हूँ,
तो लगता है.
कितनी ही अलग अलग जिंदगियां जी रहा हूँ मैं.

एक ज़िन्दगी तेरे गम में जीता हूँ.
एक ज़िन्दगी उसे भुलाने की.

ख्वाहिशों की एक उम्र लेता हूँ.
और उनको पूरा करने की जद्दोजहत एक ज़िन्दगी.

एक ज़िन्दगी अपनी ही जीता मैं.
और एक हर अपने की.

प्यार की एक ज़िन्दगी, आवारगी की एक ज़िन्दगी.
ज़िन्दगी मज़हब की, बग़ावत की एक ज़िन्दगी.

किसी के मन में सुकून,
किसी के मन में बदनाम एक ज़िन्दगी.

जीता हूँ कभी जुनून की.
कभी बस नाम की ही ज़िन्दगी.

Wednesday, February 07, 2007

zindagi guzarenge kaise

har pal ke baad
ek khaali aah si nikalti hai,
har shaam ke baad
khushi din guzar jaane ki rehti hai.

khush hoon ya nahin hoon main
kashmakash main sama rehta hai,
jo ho raha hai, ho
guzarti hawa main din behta hai.

rago main bezaar,
behta rehta hai lahu jaise,
saanse bemaksad,
leta rehta hoon main waise.

Ek lamha jo guzar jata hai,
fir sochta hoon kuch aur guzarunga kaise.
chand palon ki baat hoti toh theek tha.
sochta hoon
zindagi guzarunga kaise.