तू नहीं वो जो माईने हैं,
कोई नहीं तो तू सामने हैं.
तेरा अक्स तू है.
मुझे दिखते अलग आईने हैं.
नहीं तू और पास ना आ,
यूँ रोज़ ना मिल,
इस नशे से मुस्कुरा भी मत,
वो समय कुछ और था,
अब कुछ और ही ज़माने हैं.
फ़िर से वही दर्द ना हो.
फ़िर वही कशमकश ना हो.
है रास्ते कहीं और
हाथ किसी और के 'सुफन' थामने हैं.
Monday, November 29, 2010
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