Monday, November 29, 2010

तू नहीं वो जो माईने हैं,
कोई नहीं तो तू सामने हैं.

तेरा अक्स तू है.
मुझे दिखते अलग आईने हैं.

नहीं तू और पास ना आ,
यूँ रोज़ ना मिल,
इस नशे से मुस्कुरा भी मत,
वो समय कुछ और था,
अब कुछ और ही ज़माने हैं.

फ़िर से वही दर्द ना हो.
फ़िर वही कशमकश  ना हो.
है रास्ते कहीं और
हाथ किसी और के 'सुफन' थामने हैं.

2 comments:

shephali said...

bahut khub


aapke aur mere blog ka naam same hai
http://wordsbymeforme.blogspot.com/

harshit said...

thank you Shephali,
haan aapke aur mere blog ka naam same hai...simple sa hai :)