जब अफसाना-ए-हस्ती सोचता हूँ,
तो लगता है.
कितनी ही अलग अलग जिंदगियां जी रहा हूँ मैं.
एक ज़िन्दगी तेरे गम में जीता हूँ.
एक ज़िन्दगी उसे भुलाने की.
ख्वाहिशों की एक उम्र लेता हूँ.
और उनको पूरा करने की जद्दोजहत एक ज़िन्दगी.
एक ज़िन्दगी अपनी ही जीता मैं.
और एक हर अपने की.
प्यार की एक ज़िन्दगी, आवारगी की एक ज़िन्दगी.
ज़िन्दगी मज़हब की, बग़ावत की एक ज़िन्दगी.
किसी के मन में सुकून,
किसी के मन में बदनाम एक ज़िन्दगी.
जीता हूँ कभी जुनून की.
कभी बस नाम की ही ज़िन्दगी.
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1 comment:
Nice one, shaayad har ek mein thoda bahut Multiple Personality Disorder hain :)
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