Friday, March 09, 2007

khush rehna zaroori hai

थक गए तुम भले ही,
उठा के सर चलना ज़रूरी है.

ना मिलें हो फल कभी भी,
करते रहना कर्म ज़रूरी है.

बल ना हो बाँहों में फ़िर भी,
वीरता मन में ज़रूरी है.

परिश्रम कर लिया बहुत तुमने,
पर हाँ थोडा और ज़रूरी है.

हो ना कोई भी साथ,
भरोसा खुद पे ज़रूरी है.

मुश्किलें तो हर किसी को हैं,
बस खुश रहना ज़रूरी है.

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