चार पल हैं जीवन के, फ़िर भी
सहता है दर्द इंसान पल पल क्यों?
कल शाम को ठीक था,
आज फ़िर दुखी है मन इतना क्यों?
रिश्तों का ये मायाजाल.
फस गया आखिर इतना गहरा क्यों?
आता है अकेला आदमी, जाता है अकेला,
अकेलेपन से डर गया फ़िर क्यों?
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1 comment:
hey good one!!
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