Tuesday, October 14, 2008

इस दर्द की कोई दवा नहीं,
गमजदा हूँ और कोई दुआ नहीं.

जम गया है बर्फ की तरह,
ख़याल तेरा जिगर के  इर्दगिर्द.
सुन्न सा है दिल,
मुहब्बत की कोई आरजू नहीं.

अब खुद से ही हूँ, अतराफ कोई नहीं,
जी रहा हूँ, शामिल कोई और वजह नहीं.

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