लो फ़िर एक नया मुकाम आ गया
कैसे गुज़र गया कल, और आज आ गया
इंसान तो मैं वो ही हूँ,
परत दर परत नया अंदाज़ आ गया
एक पल ही जैसे गुजरा है,
मैं कहाँ से कहाँ आ गया.
ना जाने कैसी यह तलाश है,
शहर से चला था गाँव आ गया
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